Thursday, September 2, 2010

यहाँ काम आता है कर के रूप में लिया गया पैसा....

                                सांसद का वेतन 

               विवरण                                    पहले                                        अब
             १. मूल वेतन                                         16000                                      50000 (80001 चाहते थे )
             २. कार्यालय खर्च                                   20000                                          40000
             ३. भत्ता                                                 20000                                          40000
             ४. व्यक्तिगत वहां के लिए
               ब्याज रहित ऋण                               100000                                         400000
             ५.  सांसदों द्वारा प्रयुक्त
                वाहनों के लिए लाभ दर                     13/किमी                                        16/किमी 
           
             ६.     पेंशन लाभ                                 80000                                          20000  (25000 चाहते थे)
             
         ७.     दैनिक भत्ता                                     1000                                             2000 


इस वेतन वृद्धि से सरकार अब सांसदों को प्रति वर्ष 142  . 26  करोड़ भत्ते और वेतन के रूप में व 118 ऐरिअर के रूप में प्रदान करेगी |

आम जनता का ध्यान इस बात से हटाने के लिए कर दाताओ को मोहरा बनाया और उनको कर में २ लाख तक छूट दे दी | हालाँकि ये कम हुई ब्याज दर अप्रैल २०११ से लागु होगी , लेकिन एक बारगी तो आम जनता ये सांसदों के बढे हुए वेतन को भूल ही गयी ना |

Wednesday, September 1, 2010

चेतन भगत का समाचार पत्र में प्रकाशित एक सटीक लेख


कॉमन वेल्थ गेम्स में होने वाली धांधली में चेतन भगत का दैनिक भास्कर में प्रकाशित सटीक लेख पढ़े और हो सके तो उनके इस काम में सहयोग करे..धन्यवाद 






    

राजस्थान में भी मराठी मानुष

आजकल मीडिया में मराठी मानुष, मराठी भाषा काफी सुनने को मिल रहा है,
ये तो हमें फिर भी पच गया और हजम भी हो गया. लेकीन हद तो अब हो गयी है जब हमारे राजस्थान में भी मराठी मानुष ने अपना कब्ज़ा जमा लिया है.

जी हा आप सही सुन रहे है, जोधपुर में एक एसा ऐटीऍम इन्स्टाल हुआ है जिसमे हिंदी इंग्लिश क आलावा तीसरी भासा मराठी है
हमारे जोधपुर में मराठियों की संख्या न के बराबर है, और अगर मान भी लिया जाये की यहाँ मराठी लोग रहते है तो क्या उनके लिए हम अलग से ऐ टी ऍम मशीन लगवाएंगे

जिन उत्तर भारतियों पर वो सितम ध रहे है अगर वो ही उनकी भासा को अपनाने लगे तो फिर हमारे लोगो का विश्वास तो इस सर्कार से उठ ही जायेगा,
इस बारे में हमें जल्द ही कदम उठाना चाहिए और तीसरी भाषा में मराठी की जगह मारवाड़ी होना चाहिए

अपने मत जरूर इसपे लिखिए,
धन्यवाद

हद से ज्यादा गिरती राजनीती

कल जब में एक न्यूज़ चैनल पर न्यूज़ देख रहा था तो एक ख़बर ने तो जैसे मेरी नींद ही उड़ा दी ।
आपको याद होगा कुछ दिनों पहले की घटना , वाई एस रेड्डी की विमान दुर्घटना में मृत्यु हो गई थी | और देश ने एक अच्छा नेता खो दिया था । तब काफी सारी अटकले लगने लगी की अब अगला मु मंत्री कोन होगा । उस समय जो सबसे बड़ा नाम सामने आ रहा था वह था वाई एस रेड्डी के सुपुत्र गगन रेड्डी ।
आपको जरूर याद होगा की रेड्डी जी के अन्तिम संस्कार के दिन सभी समाचार चैनल में यही छाया हुआ रहा की १०० से ज्यादा लोगो की सदमे के कारन मृत्यु हो गई । और इससे आम आदमी जो की इन्हे इससे पहले नही जानते थे , उनके दिल में उनकी एक अच्छे नेता की छवि बन गई और यह सुनिश्चित हो गया की उनका पदभार अब उनका सुपुत्र गगन रेड्डी ही संभालेंगे ।
अब जी नेता के दोस्त कम दुश्मन ज्यादा होते है । एक विरोधी नेता ये खुलासा किया की " कोई आदमी सदमे से नही मरा और जो स्वाभाविक मौत मरे थे उनके परिवार को पैसा देकर (२०००-५००० ) उनके मौत के कारणों को सदमा बता दिया । और ये बात फैलाने में सबसे बड़ा हाथ था गगन रेड्डी क ख़ुद के न्यूज़ चैनल का ।
जब इसकी सचाई जानने के लिए दुसरे न्यूज़ चैनल वाले उन गावो में पहुंचे तो सच्चाई सामने आई की रेड्डी क कार्यकर्ता उन लोगो के पास गए जिनके यहाँ किसी बुजुर्ग की मौत हुई है , उनको ५००० रुपये सिर्फ़ इसलिए दिए गए की वो मौत के कारन को अपने तक ही सिमित रखे । बेचारे गरीब लोग पैसा देखकर मान भी गए ।

अब जब ये बात सबको पता चल गई है , तो बताईये की एसे व्यक्ति को कोन अपना मुख्य मंत्री बनाना चाहेगा जो अपने पिता के मौत को भी इस्तेमाल कर रहा है।

पैसा बचाओ अभियान

आज कल सरकार एक नए कारन से सुर्खियों में छाई हुई है। जी हा आप ने सही सोचा , ये है पैसा बचाओ अभियान। एस ऍम कृष्णा जो की पहले कर्णाटक के मुख्य मंत्री रह चुके है और अब वे है इंडियन मिनिस्टर फॉर एक्स्तेर्नल अफेयर्स , को सरकारी आवास नही मिलने की वजह से एक फाइव स्टार होटल में ३ महीने निकालने पड़े । पार्टी ने लाखो रुपये खर्च किए। लेकिन जब ये मामला मीडिया में उछला तब हमारे माननीय वित्त मंत्री को पता चला की उनके पार्टी के कई मंत्री सरकारी खर्चो पर होटल्स में रह रहे है । सबसे पहले तो उनसे ये पूछा जाए की सरकारी खजाने से जो पैसा निकलता है उसपे वित्त मंत्री की कोई नज़र तो होती ही होगी । तो अचानक आपका ये बात सुनकर चोकने का क्या तात्पर्य है । प्रणव मुखर्जी ने हाथो हाथ उनको सरकारी गेस्ट हाउस में रुकने के निर्देश दिए।
चलो अब तो इस किस्से से पार्टी में एक नया ही चलन चालू हो गया । पहले वित्त मंत्री ने इकोनोमी क्लास में अपना सफर किया तो हमारी प्रधान मंत्री ओह माफ़ कीजियेगा हमारे प्रधान मंत्री तो मनमोहन सिंह है , खेर सोनिया गाँधी भी कहा कम रहने वाली थी । उन्होंने भी इकोनोमी क्लास में दिल्ली से मुंबई तक सफर किया। अब सोनिया क सहजादे कहा पीछे रहने वाले थे । वो तो सब से दो कदम आगे निकल कर ट्रेन में सफर के लिए निकल गए । वो बात अलग है की उनका पुरा लवाजमा , उनके सिक्यूरिटी गार्ड , और मीडिया का एक पुरा महकमा उनके साथ था । न्यूज़ चैनल वालो ने इसे बहूत अच्छी तरह से भुना और अपना काफी समय इसे दिया । एक न्यूज़ चैनल ने तो उसे ग्राफिक्स के जरिये भी पेश किया । चलो अब उनका सफर शुरु हो गया । लेकिन इनको तो कुछ और पब्लिसिटी भी चाहिए थी। तो पानीपत के पास कुछ ख़रीदे हुए लोगो से ट्रेन पे पथराव भी करवा दिए । जिसे भी न्यूज़ चैनल वालो ने बड़े मसाले डाल के दिखाया।
पता नही इन थोड़े से पैसे बचाने से सरकारी खजाने में कितना फर्क पड़ेगा। जहा विकास के नाम पर अरबो रुपये खर्च होते है जो वास्तव में भ्रस्ताचार के लिए काम में आते है, जरूरत है उन पैसो पर नज़र रखने की , इन 4-5 लाख रुपये के बचाने से कोई खास फर्क नही पड़ेगा।
अपने कमेन्ट और विचार इसपे लिखे और बताये की आप इन सब को किस नज़र से देखते है।